कठपुतलियों द्वारा शान्ति निकेतन ने करायी नैतिक शिक्षा
जोधपुर 11जुलाई, शहर के झालामन्ड स्थित, दी शान्ति निकेतन विद्यालय (प्री प्राइमरी विंग)द्वारा लोक शैली को (कठपुतली प्रदर्शनी एवँ अभिनय )पुनर्जीवित करते हुए शैक्षणिक स्तर को आधारभूत मजबूती देने का अद्वितीय एवँ अर्थपूर्ण प्रयास किया गया जिसे न सिर्फ नन्हे मुन्हो ने सराहा अपितु पुरे जोश खरोश के साथ उसका आन्नद लेते हुए शिक्षण को अधिक प्रभावी बनाये रखने हेतू इस नई विधा का स्वागत भी किया ।
लोक शैली एव विभिन्न आवाजों के उतार-चढ़ाव तथा एक ही मंच पर कठपुतली द्वारा अनेक चरित्र प्रदर्शन की शैली मे जब शान्ति निकेतन विद्यालय ने अतीत को वर्तमान से जोडा तो मानो प्रत्येक दुरी स्वतः कम होकर आधुनिक्ता से एकाकार हो गई । इस अनुपम समागम ने नन्हे विद्यार्थियो को एक अप्रत्याशित उर्जा से भर दिया जिसमे लोक शैली की सुगंध,अनेक चरित्रों का ज्ञान, विभिन्न आवाजों की समझ एवँ बुद्धिजीवी सोच जैसे अनेक फलदायक परिणाम पल्लवित हुये ।एक और नैतिकता को संजोये हुए यह शैली बच्चों के लिये मूल्यवान साबित हूई वही पर उंगलिया चढ़ी अनेक कठपुतली के सामन्जस्य से उनमे साझा जीवन का बोध प्राप्त हुआ जिसमे विभिन्न आवाजो के ज़रा ज़रा से उतार-चढ़ाव द्वारा विभिन्न चरित्रों के प्रदर्शन ने उन्हे आवाजो की अभिभूत करने वाले गुण का पता किया ।
संस्था प्रिंसिपल श्रीमती योगेश्वरी राठौड़ ने बत।या की अतीत की इस भुली हूई शैली को पुनर्जीवित करते हुए विद्यालय ने विद्यार्थियो को इस शैली के माध्यम से वह स्तर देने का प्रयास किया है जिसमे वह भारत एव इसके उन सांस्कृतिक मूल्यों को समझ सके जहाँ ज्ञान एव चरित्र प्रधान रह्ते हैं ।माननीय चेयरमैन श्री कैलाश जी मोदी इसे शुरुआती शिक्षण स्तर हेतू उठाया हुआ वह अनुगामी प्रयास बतया है जिसमे एक विद्यार्थी अपने प्रारम्भिक स्तर पर ही आदर्श एव नैतिक समाज की तरफ बढता है ।